शिक्षा विभाग की ओर से स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों अभिभावकों और उनके शिक्षकों के लिए नई गाइडलाइन जारी की गई है जारी की गई गाइडलाइन के अनुसार सरकार की ओर से यह कहां गया है किस्कूल में पढ़ने वाले बच्चे स्कूल मेंकोई भी वस्तु नहीं लेकर जाएं यानी बाग में जरूरी सामान के अलावा किसी भी प्रकार की अन्य वस्तु नहीं होनी चाहिए।
भारत की संस्कृति में अहिंसा को सर्वोच्च धर्म माना जाता है। यह मूल्य हमारे व्यक्तित्व का एक अहम हिस्सा है। राज्य सरकार इसी मूल्य को ध्यान में रखते हुए विद्यालयों को एक ऐसा सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है जहां छात्रों को बिना किसी डर के सीखने और बढ़ने का अवसर मिले। सरकार का लक्ष्य है कि विद्यालयों में छात्रों का सर्वांगीण विकास हो और वे संस्कारवान नागरिक बनें।
इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए, विद्यालय प्रशासन और शिक्षकों को विद्यार्थियों को लगातार प्रेरित करते रहना चाहिए। साथ ही, विद्यार्थियों के आचरण पर भी बारीकी से नज़र रखनी चाहिए ताकि वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ सकें। यदि इस दिशा में लापरवाही बरती गई तो विद्यार्थियों की प्रगति बाधित होने के साथ-साथ उन्हें और उनके साथियों को भी नुकसान पहुंच सकता है। ऐसी स्थिति न केवल विद्यालय की प्रतिष्ठा को धूमिल करती है बल्कि अन्य विद्यार्थियों और अभिभावकों के विश्वास को भी कमजोर करती है।
विद्यालय में धारदार वस्तुओं पर प्रतिबंध
विद्यालय परिसर में किसी भी प्रकार के धारदार या नुकीले हथियार लाना पूर्णतः प्रतिबंधित है।
इस नियम का उद्देश्य विद्यालय में होने वाली किसी भी दुर्घटना को रोकना है। छात्रों से अनुरोध है कि वे चाकू, कैंची, या किसी भी अन्य धारदार वस्तु को विद्यालय न लाएँ। ऐसा करना विद्यालय के सुरक्षा नियमों का उल्लंघन होगा।
संस्था प्रधान के दायित्व
संस्था प्रधान उपरोक्त सूचना को नोटिस बोर्ड पर आदेश के रूप में प्रदर्शित करेंगे। साथ ही, प्रार्थना सभा में इस विषय पर विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे। इसके अतिरिक्त, शिक्षक-अभिभावक परिषद की बैठक में इस विषय पर विमर्श किया जाएगा।
शिक्षकों का दायित्व
“शिक्षकों का यह दायित्व है कि वे विद्यालय में अनुशासन बनाए रखने के लिए विद्यार्थियों के बैग, डेस्क और अन्य व्यक्तिगत सामानों की समय-समय पर जांच करें। इस जांच का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विद्यालय परिसर में कोई भी प्रतिबंधित वस्तु न लाई जाए।
साथ ही, शिक्षकों को विद्यार्थियों के व्यवहार पर भी लगातार नज़र रखनी चाहिए। यदि किसी विद्यार्थी के व्यवहार में कोई अचानक बदलाव दिखाई दे, तो शिक्षक को उस विद्यार्थी के प्रति विशेष ध्यान देना चाहिए और उसकी भावनाओं का सम्मान करते हुए उसे समझने का प्रयास करना चाहिए।”
बच्चों के अभिभावकों का दायित्व
माता-पिता का यह कर्तव्य है कि वे अपने बच्चों को धारदार या नुकीली वस्तुओं के खतरों के बारे में समझाएं और उन्हें स्कूल में ऐसी कोई भी चीज़ लाने से रोकें। समय-समय पर बच्चों के बैग की जांच भी करनी चाहिए। यदि बच्चे के व्यवहार में कोई बदलाव दिखाई दे, तो सावधान हो जाना चाहिए। शिक्षकों के साथ नियमित संपर्क बनाए रखना भी जरूरी है।
यदि किसी छात्र के पास स्कूल में धारदार या नुकीली वस्तुएं पाई जाती हैं, तो स्कूल प्रशासन को उसके माता-पिता से संपर्क करना चाहिए और आवश्यकतानुसार छात्र के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी चाहिए। छात्रों को बेहतर शिक्षा देने के साथ-साथ एक सुरक्षित और सकारात्मक माहौल प्रदान करना भी स्कूल का उद्देश्य है। इसलिए, सभी स्कूल प्रमुखों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी छात्र स्कूल परिसर में धारदार या नुकीली वस्तुएं न लाए, जिससे भय का माहौल पैदा हो या किसी छात्र को नुकसान पहुंचे।